‘URL’ जो कि एक Tech Term है। जिसे अक्सर ‘लिंक’ नाम के जरिये लोगो के बीच अधिक जाना जाता है हालांकि लिंक और URL में अंतर है। आज का मुख्य विषय यूआरएल ही है।
जिसमें आप URL क्या है से लेकर URL की Full Form व Types जैसी ढेर सारी जानकारी से अपने मस्तिष्क को लाभान्वित करने वाले हैं।
तो चलिए बह चलते हैं URL की रसधारा में। 😄
URL की फुल फॉर्म – URL Full Form In Hindi
URL जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है कि ये कोई Short Form Word है जिसका कोई विस्तृत रूप होगा !
URL की Full Form अंग्रेजी में Uniform Resource Locator (उच्चारण – यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) और हिंदी में सम स्रोत निर्धारक होती है।
U – Uniform = सम
R – Resource = स्रोत
L – Locator = निर्धारक
यूआरएल को बोलचाल की भाषा में Web Address कहा जाता है।
URL क्या है ? – What Is URL In Hindi
URL के बारे में बात करें तो URL किसी वेब रिसोर्स (यानि कोई HTML वेबपेज, Image, Video आदि) की वेब (World Wide Web) पर लोकेशन को बताने वाला पता होता है।[URL Definition]
यूआरएल के जरिये उस ख़ास Web Resource/Web Page/Website तक पहुंचा जा सकता है या उसे एक्सेस किया जा सकता है।
मतलब सार ये है कि URL या Link या Web Address किसी पेज या फ़ाइल का एड्रेस होता है।
URLs सिर्फ़ किसी Webpages (http) को ही इंगित नहीं करते हैं बल्कि इनका इस्तेमाल File Transfer (ftp), Email (mailto), Database Access (JDBC) आदि और भी कई कार्यों के लिए किया जाता है।
इन्हें हम URI Schemes के नाम से जानते हैं। तक़रीबन 345 URI Schemes आज वर्तमान में मौजूद हैं।
URI Schemes की सूची
🢂 A-H
- A: Aaa, aaas, about, acap, acct, acd, acr, adiumxtra, adt, afp, afs, aim, amss, android, appdata, apt, ar, ark, attachment, aw
- B: Barion, beshare, bitcoin, bitcoincash, blob, bolo, browserext
- C: Cabal, calculator, callto, cap, cast, casts, chrome, chrome-extension, cid, coap, coap+tcp, coap+ws, coaps, coaps+tcp, coaps+ws, com-eventbrite-attendee, content, content-type, crid, cvs
- D: Dab, dat, data, dav, diaspora, dict, did, dis, dlna-playcontainer, dlna-playsingle, dns, dntp, doi, dpp, drm, drop, dtmi, dtn, dvb, dvx, dweb
- E: Ed2k, elsi, embedded, ens, ethereum, example
- F: Facetime, fax, feed, feedready, fido, file, filesystem, finger, first-run-pen-experience, fish, fm, ftp, fuchsia-pkg
- G: Geo, gg, git, gizmoproject, go, gopher, graph, gtalk
- H: H323, ham, hcap, hcp, http, https, hxxp, hxxps, hydrazone, hyper
🢂 I-P
- I: Iax, icap, icon, im, imap, info, iotdisco, ipfs, ipn, ipns, ipp, ipps, irc, irc6, ircs, iris, iris.beep, iris.lwz, iris.xpc, iris.xpcs, isostore, itms
- J: Jabber, jar, jms
- K: Keyparc
- L: Lastfm, lbry, ldap, ldaps, leaptofrogans, lorawan, lvlt
- M: Magnet, mailserver, mailto, maps, market, matrix, message, microsoft.windows.camera, microsoft.windows.camera.multipicker, microsoft.windows.camera.picker, mid, mms, modem, mongodb, moz, ms-access, ms-browser-extension, ms-calculator, ms-drive-to, ms-enrollment, ms-excel, ms-eyecontrolspeech, ms-gamebarservices, ms-gamingoverlay, ms-getoffice, ms-help, ms-infopath, ms-inputapp, ms-lockscreencomponent-config, ms-media-stream-id, ms-meetnow, ms-mixedrealitycapture, ms-mobileplans, ms-officeapp, ms-people, ms-project, ms-powerpoint, ms-publisher, ms-restoretabcompanion, ms-screenclip, ms-screensketch, ms-search, ms-search-repair, ms-secondary-screen-controller, ms-secondary-screen-setup, ms-settings, ms-settings-airplanemode, ms-settings-bluetooth, ms-settings-camera, ms-settings-cellular, ms-settings-cloudstorage, ms-settings-connectabledevices, ms-settings-displays-topology, ms-settings-emailandaccounts, ms-settings-language, ms-settings-location, ms-settings-lock, ms-settings-nfctransactions, ms-settings-notifications, ms-settings-power, ms-settings-privacy, ms-settings-proximity, ms-settings-screenrotation, ms-settings-wifi, ms-settings-workplace, ms-spd, ms-sttoverlay, ms-transit-to, ms-useractivityset, ms-virtualtouchpad, ms-visio, ms-walk-to, ms-whiteboard, ms-whiteboard-cmd, ms-word, msnim, msrp, msrps, mss, mt, mtqp, mumble, mupdate, mvn
- N: News, nfs, ni, nih, nntp, notes, num
- O: Ocf, oid, onenote, onenote-cmd, opaquelocktoken, openpgp4fpr, otpauth
- P: Pack, palm, paparazzi, payment, payto, pkcs11, platform, pop, pres, prospero, proxy, pwid, psyc, pttp
🢂 Q-Z
- Q: qb, query, quic-transport
- R: Redis, rediss, reload, res, resource, rmi, rsync, rtmfp, rtmp, rtsp, rtsps, rtspu
- S: Sarif, secondlife, secret-token, service, session, sftp, sgn, shc, shttp, sieve, simpleledger, sip, sips, skype, smb, sms, smtp, snews, snmp, soap.beep, soap.beeps, soldat, spiffe, spotify, ssb, ssh, steam, stun, stuns, submit, swh, svn
- T: Tag, teamspeak, tel, teliaeid, telnet, tftp, things, thismessage, tip, tn3270, tool, turn, turns, tv
- U: Udp, unreal, urn, ut2004, uuid-in-package
- V: V-event, vemmi, ventrilo, videotex, vnc, view-source, vscode, vscode-insiders, vsls
- W: Wais, wcr, webcal, wifi, wpid, ws, wss, wtai, wyciwy
- X: xcon, xcon-userid, xfire, xmlrpc.beep, xmlrpc.beeps, xmpp, xri
- Y: ymsgr
- Z: z39.50, z39.50r, z39.50s
URL का उदाहरण
अगर किसी Google.com वेबसाइट की Root Directory की Index.html फाइल को Access करना हो तो उसका यूआरएल लिंक कुछ इस तरह से होगा।
http://www.google.com/index.html
URL के कितने Parts होते हैं ?
जैसा कि हमने यूआरएल का उदाहरण देखा। हम किसी URL को मुख्यतः तीन भागों में बाँट सकते हैं –
- Scheme/Protocol (http)
- Hostname या Domain Name/Address (www.example.com)
- WWW (www)
- Second Level Domain (google)
- TLD – Top Level Domain/Domain Extension (.com)
- File Name (index.html)
http://www.google.com/index.html
Protocol :// Hostname / File Name
इनके अलावा भी एक URL के और भी कई भाग हो सकते हैं, जैसे –
- Subdomain (blog)
- Port Number (:80)
- Subdirectory/Path (seo/article)
- Query String Seperator (?)
- Query String Parameter (post_id=256&hl=en)
- Anchor/Fragement (#section_learn)
http://blog.google.com:80/seo/article?post_id=256&hl=en#section_learn
Protocol :// Subdomain . SecondLevelDomain . TLD : Port / Path Seperator Anchor
URL कैसे काम करता है ?
URL के काम करने की प्रक्रिया की शुरुआत Browser से होकर ख़तम भी Browser पर आकर होती है। जैसा कि हम अपनी मानवीय आँखों से देखते हैं।
लेकिन हम URL के ब्राउज़र के जरिये काम करने की Background Process को नहीं देख पाते हैं।
आप ब्राउज़र में एक Specific URL टाइप करते हैं। उसके बाद ब्राउज़र उस URL के Domain/Host की IP Address के जरिये Web Server को उस ख़ास वेब पेज या फाइल के लिए HTTP कनेक्शन के जरिये Request भेजता है।
वेब सर्वर उस Request को Handel करता है और एक Response Generate कर वापिस HTTP के जरिये आपके ब्राउज़र को भेज देता है।
फिर आपका वेब ब्राउज़र उस Response HTML वेब पेज को आपके सामने Show करता है। ये सब कितना अधिक जल्दी होगा ये वेब सर्वर और आपके इंटरनेट पर अधिक निर्भर करता है।
URL का इतिहास – History Of URL In Hindi
URL को WWW के आविष्कारक Tim Berners-Lee ने 1994 में दुनिया से रूबरू करवाया। जिसने (URL) वेब संसाधनों को एक Unique Web Address लिंक देने की बागडौर संभाली।
इस URL के जरिये पहले से मौजूद Domain Names सिस्टम को File Path के साथ Combine कर दिया गया।
जहां Slash (/) का इस्तेमाल Subdirectory या File Names को अलग करने के लिए किया जाने लगा।
यही था संक्षेप में Uniform Resouce Locator का इतिहास।
URL के प्रकार
URL मुख्यतः दो ही तरह के होते हैं। URL के कई तरह के उपप्रकार होते हैं –
Absolute URLs
Absolute URL में वो सारी Information शामिल होती हैं जो किसी Resource को Locate करने में जरूरी होती है। जैसे कि URL Scheme (http/https), Hostname (domainname.com) व Location Path (index.html). मतलब इसमें आप जिस पेज या फाइल को एक्सेस कर रहे होते हैं उसका पूरा यूआरएल होता है। उदाहरण – http://www.google.com/index.html
- Messy :- Messy URLs वे URLs होते हैं जो Human Being द्वारा पढ़ने में कठिन यानि Non-User Friendly होते हैं। इनमें कई बिन चाहे Numbers और Letters शामिल होते हैं। ये यूआरएल अक्सर CMS (Content Management Systems) वगेराह के द्वारा Bulk में कंटेंट के लिए Dynamically Generated URLs होते हैं जो कि SEO के लिए भी बेहतर नहीं होते हैं। उदाहरण – http://developers.google.com/blog/seo-guide.php/tldz009/3838706/
- Obfuscated :- Hyperlink Trick के नाम से पुकारे जाने वाले Obfuscated URLs वे खतरनाक URLs होते हैं जो किसी मूल वैध वेबसाइट के यूआरएल की नकल कर बनाये होते हैं। इनकी मदद से यूजर को मूल वेबसाइट की जगह कोई Malicious & Fake वेबसाइट पर रीडायरेक्ट कर दिया जाता है। Phising Attacks और Spam ईमेल में इनका इस्तेमाल किया जाता है। उदाहरण –Paytm के मूल यूआरएल की बजाय http://paytms.com या http://paytmindia.com के जरिये यूजर को गलत वेबसाइट पर Redirect करना।
- Dynamic :- Dynamic URLs वे URLs होते हैं जो यूजर के किसी Query Input पर Database संचालित वेबसाइट के सर्वर द्वारा जेनरेट किये जाते हैं। Query में यूजर के द्वारा या Automatic Changes के अनुसार बिना कोई HTML में परिवर्तन किये इन URL Parameters में भी बदलाव होता है। ये Messy URLs की तरह होते हैं और इन यूआरएल में ?,&,$,%,+,= जैसे Symbol Characters शामिल होते हैं। उदाहरण –http://translate.google.com/?sl=en&tl=es&text=user%20query%20here&op=translate
- Static :- Static URLs डायनामिक यूआरएल के विपरीत स्वभाव वाले वे URLs होते हैं Server में स्टोर होते हैं और यूजर की किसी Request के अनुसार बदलते नहीं है। इन यूआरएल से सभी यूजर को एक समान कंटेंट प्रोवाइड किया जाता है। इनमें बदलाव सिर्फ सर्वर से ही किये जा सकते हैं। उदाहरण –http://www.example.com/index.html
Relative URLs
Absolute URLs से भिन्न रिलेटिव यूआरएल में एक्सेस किये जाने वाले वेब रिसोर्स का पूरा यूआरएल नहीं होता है। Schemes (http/https) और Hostname (domainname.com) न होकर इनमें सिर्फ Specific डोमेन नेम के बाद आने वाला फाइल/रिसोर्स का Location Path शामिल होता है। ये यूआरएल Slash (/) से शुरू होते हैं। जो कि ये Confirm करता है कि ये लिंक इसी वेबसाइट का है और रूट डोमेन का हिस्सा है। उदाहरण – /index.html
- Document Relative :- Document Relative URLs तब इस्तेमाल होते हैं जब Current Document और Linked दोनों Same फोल्डर में हो या अलग-अलग फोल्डर में हो। यानि कि जिस फाइल को आप यूआरएल में इस्तेमाल या यूआरएल से एक्सेस कर रहे हैं और जिस पेज के HTML में आप उस डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल का इस्तेमाल कर रहे हैं वे दोनों एक ही फोल्डर में हो या अलग-अलग तब डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल का Use किया जाता है। Document Relative ऊर्ल्स को हम चार तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण –
- hours.html – content.html में hours.html (चूँकि दोनों एक ही फ़ोल्डर में हैं) को लिंक करने के लिए ‘hours.html’ डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल बिना शुरूआती Slash के इस्तेमाल करना है।
- resources/tips.html – content.html में tips.html (tips.html फाइल जो कि Resources सब-फोल्डर में है) को लिंक करने के लिए ‘resources/tips.html’ डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल बिना शुरूआती Slash के Use करना है। हर Slash (/) के साथ आप फोल्डर श्रृंखला में एक लेवल नीचे जाते हैं जैसे – resources/main/tips.html (resources सब-फोल्डर के सब-फोल्डर main में tips.html फाइल)
- ../index.html – content.html में index.html (जो कि Parent Folder में & Current फोल्डर से एक लेवल ऊपर है) को लिंक करने के लिए ‘../index.html’ डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल बिना शुरूआती Slash के और डबल डॉट (..) सहित Use करना है। यहाँ Double Dots और Slash (../) सहित आप फोल्डर श्रृंखला के एक लेवल ऊपर जाते हैं जैसे – ../../index.html (Current Folder के Parent फोल्डर के Parent फोल्डर में index.html फाइल)
- ../products/catalog.html – content.html में catalog.html (जो कि पैरेंट फोल्डर के products सब-फोल्डर में है) को लिंक करने के लिए ‘../products/catalog.html’ डॉक्यूमेंट रिलेटिव यूआरएल बिना शुरूआती Slash के और डबल डॉट (..) सहित Use करना है। डबल डॉट्स (../) से पैरेंट फोल्डर और products/ से प्रोडक्ट्स फोल्डर को एक्सेस किया जा रहा है।
- Root Relative :- Site Root Relative URLs किसी वेब रिसोर्स के लिए वेबसाइट के Root Folder को दर्शाते हैं। ये यूआरएल सुनिश्चित करते हैं कि यूआरएल में शामिल Specific रिसोर्स साइट के रूट फोल्डर में है। यानि कि ये वेबसाइट के रूट यूआरएल/डोमेन को Slash (/) के द्वारा रिलेटिव यूआरएल के शुरुआत में Define करते हैं। उदाहरण – /files/index.html (यानि कि ‘files’ सब-फोल्डर रूट फोल्डर में है और ब्राउज़र में ये रिलेटिव यूआरएल https://rootdomain.com/files/index.html की तरह काम करेगा)
- Protocol Relative :- Protocol Relative URLs उस वेबसाइट को लिंक करने के लिए काम में लिए जाते हैं जो HTTP और HTTPS दोनों प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करती है। इसमें यूआरएल के शुरुआत में Double Slash (//) का इस्तेमाल किया जाता है जिससे ब्राउज़र अगर Current पेज को HTTPS कनेक्शन के साथ पाता है तो यह रिसोर्स यूआरएल को HTTPS के साथ एक्सेस करता है अन्यथा HTTP के साथ। उदाहरण – //example.com/index.html
Absolute vs Relative URLs In Hindi
जैसा कि हमने जाना कि Absolute URLs में Full यूआरएल यानि किसी पेज की लोकेशन की बारे में सारी उपलब्ध जानकारी (Protocol, Hostname & Path) शामिल होती है। वहीं Relative URLs में केवल Hostname/Domain के बाद आने वाला Path शामिल होता है।
Absolute URLs और Relative URLs के बीच सीधा व स्पष्ट अंतर तो जान लिया अब इनके फ़ायदे और नुकसानों के आधार पर भी इनमें और इनके Uses में अंतर जान लें !
Absolute URLs के फायदे व नुकसान
- फायदे –
- हमेशा Correct यूआरएल का इस्तेमाल,
- कंटेंट चोरी के खिलाफ कुछ हद तक बेहतर,
- रिलेटिव यूआरएल वाले नुकसान नहीं होते।
- नुकसान –
- Local, Staging या किसी अन्य सर्वर पर टेस्टिंग के लिए अनुपयुक्त
Relative URLs के फायदे व नुकसान
- फायदें –
- यूआरएल की लम्बाई कम होने के कारण Loading Time में थोड़े Fast,
- प्रोग्राम किये/लिखे जाने में आसान और तेज़,
- Staging Environment या किसी अन्य सर्वर पर मूव करने में सहायक।
- नुकसान –
- डोमेन नेम न होने के कारण Scraping (कंटेंट चोरी) बहुत अधिक आसान,
- अक्सर डुप्लीकेट कंटेंट को बढ़ावा,
- http व https असमंजस के कारण Search Crawlers के लिए समस्या।
URL Shortner (Shortening) क्या है ?
आजकल के ट्रेंड में यूआरएल शोर्टनिंग भी शामिल है। यूआरएल शोर्टनिंग यानि यूआरएल को Short करने की प्रोसेस।
आजकल वेबसाइट के लम्बे-लम्बे यूआरएल याद रखने का टाइम किसके पास है और याद भी कौन रखना चाहता है ? इसलिए इसका हल URL Shortners है।
URL Shortners अलग-अलग कंपनियों द्वारा बनाये गए टूल है जो URL Shortening यानि URL की लम्बाई को कम करने की प्रक्रिया करते हैं।
उदाहरण के लिए bit.ly/hindrise. Bitly, Rebrandly, TinyURL जैसे और भी कई यूआरएल शोर्टनर्स हैं। जो Branded Shortening/ Custom Domain Shortening सर्विस भी उपलब्ध करवाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले (FAQs)
हमें किसी वेबसाइट का यूआरएल अपने डिवाइस में कहां दिखता है ?
आपको किसी वेबसाइट का URL आपके डिवाइस के Browser के Address Bar में दिखाई देगा। जिसमें http या https शामिल मिलेगा जैसे आप अभी ब्राउज़र के एड्रेस बार में देख पा रहे हैं।
Secured URL या Secured Protocol Connection कौनसा होता है ?
https से शुरू होने वाले (SSL Connection वाले) यूआरएल Data Encryption Method के कारण Secured होते हैं। ये सिक्योर यूआरएल Hackers के लिए ये बड़ी दुविधा खड़ी करते हैं।
URL के तीन हिस्से कौनसे होते हैं ?
URL के तीन हिस्से होते हैं जिनमें पहला Protocol Designation/Schemes, दूसरा Hostname/Domain Name व तीसरा Document Path/Name होता है।
URL और Link में क्या अंतर है ?
URL एक वेब एड्रेस है जो किसी वेब रिसोर्स को लोकेशन को दर्शाता है और यह एक वेबपेज के लिए एक ही होता है जबकि Link हाइपरलिंक का ही नाम है जो HTML में एक वेब एड्रेस से दूसरे वेब एड्रेस तक जाने में सहायक होती है। यही एड्रेस यूआरएल होता है।
URL Shortner या किसी भी तरीके से बने छोटे यूआरएल का क्या लाभ है ?
छोटे यूआरएल शेयर करने में आसान और अगर आप उन्हें याद रखना चाहें तो याद भी रख सकते हैं।
कई वेबसाइट जैसे फेसबुक आदि के URL में हमें facebook.com से पहले ‘m’ क्यों मिलता है ?
यह ‘m’ उन वेबसाइट के मोबाइल वर्शन को डिफाइन करता है। इस तरह की वेबसाइट मोबाइल के लिए ‘m’ की तरह Separate Subdomains का इस्तेमाल करती है। हालांकि आप बाध्य नहीं है कि इस तरह के सबडोमेन को सिर्फ मोबाइल में ही देख सकते हैं, आप Manually URL डालकर किसी भी डिवाइस में साइट के मोबाइल वर्शन को देख सकते हैं।
क्या वेबसाइट का URL हिंदी भाषा में हो सकता है ?
जी हाँ, इसके लिए आप एक हिंदी डोमेन भी खरीद सकते हैं और फिर अपने अनुसार उस पर हिंदी में कोई File Path या पेज URL लिख सकते हैं। जैसे – https://हिंदी-डोमेन.in/हिंदी-भाषा.html
निष्कर्ष
“URL क्या है” की शानदार Post का सफ़र यही ख़तम होता है। शायद मुझसे पोस्ट में कुछ छूट गया है, नहीं ? लेख के बारे में अपना अनुभव का चिराग कमेंट में जरुर प्रज्वलित करें। 😃
हाँ, ये भी बताये कि आप कौनसा URL Shortner इस्तेमाल करते हैं और उसी ख़ास Shortner को इस्तेमाल करते हैं क्यों ?
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