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Chanakaya Niti – सम्पूर्ण चाणक्य निति [ 1 से 17 अध्याय तक ]

Chanakaya Niti In Hindi – भारत में अनेकों महान पुरुष हुए है। मैं आपको पिछले पोस्ट में स्वामी विवेकानंद के 101 अनमोल वचन का संग्रह दिया था। आज पोस्ट के माध्यम से आपको चाणक्य के विशाल नीतियों का संग्रह आपके लिए लाया हूँ।

Chanakaya Niti In Hindi – सम्पूर्ण चाणक्य निति

चलिए अब मैं आपको चाणक्य के सम्पूर्ण 17 अध्याय को यहाँ प्रस्तुत करने वाला हूँ :-

Chanakya Niti अध्याय – 1

1. तीनो लोको के स्वामी सर्वशक्तिमान भगवान विष्णु को नमन करते हुए मै एक राज्य के लिए नीति शास्त्र के सिद्धांतों को कहता हूँ. मै यह सूत्र अनेक शास्त्रों का आधार ले कर कह रहा हूँ।

2. जो व्यक्ति शास्त्रों के सूत्रों का अभ्यास करके ज्ञान ग्रहण करेगा उसे अत्यंत वैभवशाली कर्तव्य के सिद्धांत ज्ञात होगे। उसे इस बात का पता चलेगा कि किन बातों का अनुशरण करना चाहिए और किनका नहीं। उसे अच्छाई और बुराई का भी ज्ञात होगा और अंततः उसे सर्वोत्तम का भी ज्ञान होगा।

3. इसलिए लोगो का भला करने के लिए मै उन बातों को कहूंगा जिनसे लोग सभी चीजों को सही परिपेक्ष्य मे देखेगे।

4. एक पंडित भी घोर कष्ट में आ जाता है यदि वह किसी मुर्ख को उपदेश देता है, यदि वह एक दुष्ट पत्नी का पालन-पोषण करता है या किसी दुखी व्यक्ति के साथ अतयंत घनिष्ठ सम्बन्ध बना लेता है.

5. दुष्ट पत्नी, झूठा मित्र, बदमाश नौकर और सर्प के साथ निवास साक्षात् मृत्यु के समान है।

6. व्यक्ति को आने वाली मुसीबतो से निबटने के लिए धन संचय करना चाहिए। उसे धन-सम्पदा त्यागकर भी पत्नी की सुरक्षा करनी चाहिए। लेकिन यदि आत्मा की सुरक्षा की बात आती है तो उसे धन और पत्नी दोनो को तुक्ष्य समझना चाहिए।

7. भविष्य में आने वाली मुसीबतो के लिए धन एकत्रित करें। ऐसा ना सोचें की धनवान व्यक्ति को मुसीबत कैसी? जब धन साथ छोड़ता है तो संगठित धन भी तेजी से घटने लगता है।

8. उस देश मे निवास न करें जहाँ आपकी कोई ईज्जत नहीं हो, जहा आप रोजगार नहीं कमा सकते, जहा आपका कोई मित्र नहीं और जहा आप कोई ज्ञान आर्जित नहीं कर सकते।

9. ऐसे जगह एक दिन भी निवास न करें जहाँ निम्नलिखित पांच ना हो:
एक धनवान व्यक्ति ,
एक ब्राह्मण जो वैदिक शास्त्रों में निपुण हो,
एक राजा,
एक नदी ,
और एक चिकित्सक।
 
10. बुद्धिमान व्यक्ति को ऐसे देश में कभी नहीं जाना चाहिए जहाँ :
रोजगार कमाने का कोई माध्यम ना हो,
जहा लोगों को किसी बात का भय न हो,
जहा लोगो को किसी बात की लज्जा न हो,
जहा लोग बुद्धिमान न हो,
और जहाँ लोगो की वृत्ति दान धरम करने की ना हो।
 
11. नौकर की परीक्षा तब करें जब वह कर्त्तव्य का पालन न कर रहा हो,
रिश्तेदार की परीक्षा तब करें जब आप मुसीबत मे घिरें हों,
मित्र की परीक्षा विपरीत परिस्थितियों मे करें,
और जब आपका वक्त अच्छा न चल रहा हो तब पत्नी की परीक्षा करे।
 
12. अच्छा मित्र वही है जो हमे निम्नलिखित परिस्थितियों में नहीं त्यागे:
आवश्यकता पड़ने पर,
किसी दुर्घटना पड़ने पर,
जब अकाल पड़ा हो,
जब युद्ध चल रहा हो,
जब हमे राजा के दरबार मे जाना पड़े,
और जब हमे समशान घाट जाना पड़े।
 
13. जो व्यक्ति कसी नाशवंत चीज के लिए कभी नाश नहीं होने वाली चीज को छोड़ देता है, तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चली ही जाती है और इसमे कोई संदेह नहीं की नाशवान को भी वह खो देता है।
 
14. एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदार घर की अविवाहित कन्या से किस वयंग होने के बावजूद भी विवाह करना चाहिए। उसे किसी हीन घर की अत्यंत सुन्दर स्त्री से भी विवाह नहीं करनी चाहिए। शादी-विवाह हमेशा बराबरी के घरो मे ही उिचत होता है।
 
15. इन 5 पर कभी विश्वास ना करें :
1. नदियां,
2. जिन व्यक्तियों के पास अश्त्र-शस्त्र हों,
3. नाख़ून और सींग वाले पशु,
4. औरतें (यहाँ संकेत भोली सूरत की तरफ है, बहने बुरा न माने )
5. राज घरानो के लोगो पर।
 
 
16. अगर हो सके तो विष मे से भी अमृत निकाल लें,
यदि सोना गन्दगी में भी पड़ा हो तो उसे उठाये, धोएं और अपनाये,
निचले कुल मे जन्म लेने वाले से भी सर्वोत्तम ज्ञान ग्रहण करें,
उसी तरह यदि कोई बदनाम घर की कन्या भी महान गुणो से संपनन है और आपको कोई सीख देती है तो गहण करे.
 
17. महिलाओं में पुरुषों कि अपेक्षा:
भूख दो गुना,
लज्जा चार गुना,
साहस छः गुना,

Chankaya Niti अध्याय – 2 [ Chanakya Niti In Hindi ]

1. झूठ बोलना, कठोरता, छल करना, बेवकूफी करना, लालच, अपवित्रता और निर्दयता ये औरतो के कुछ नैसर्गिक दुर्गुण है।
भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुन्दर स्त्री और उसे भोगने के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धनराशी तथा दान देने की भावना – ऐसे संयोगों का होना सामान्य तप का फल नहीं है।

2. पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता हो, पिता वही है जो पुत्रों का पालन-पोषण करे, मित्र वही है जिस पर आप विश्वास कर सकते हों और पत्नी वही है जिससे सुख प्राप्त हो।

3. ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।

4. मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें बल्कि मनन पूर्वक उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणत कर दें।

5. हर पर्वत पर माणिक्य नहीं होते,  हर हाथी के सर पर मणी नहीं होता, सज्जन पुरुष भी हर जगह नहीं होते और हर वन मे चन्दन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।

6. बुद्धिमान पिता को अपने पुत्रों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।

7. एक ब्राह्मण का बल तेज और विद्या है, एक राजा का बल उसकी सेना मे है, एक वैशय का बल उसकी दौलत मे है तथा एक शुद्र का बल उसकी सेवा परायणता मे है।

Chanakaya Niti अध्याय – 3

1. इस दुनिया मे ऐसा किसका घर है जिस पर कोई कलंक नहीं, वह कौन है जो रोग और दुख से मुक्त है.सदा सुख किसको रहता है?

2. मनुष्य के कुल की ख्याति उसके आचरण से होती है, मनुष्य के बोल चल से उसके देश की ख्याति बढ़ती है, मान सम्मान उसके प्रेम को बढ़ता है, एवं उसके शारीर का गठन उसे भोजन से बढ़ता है।

3. लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए।

4. एक दुर्जन और एक सर्प मे यह अंतर है की साप तभी डंख मरेगा जब उसकी जान को खतरा हो लेकिन दुर्जन पग पग पर हानि पहुचने की कोशिश करेगा।

5. राजा लोग अपने आस पास अच्छे कुल के लोगो को इसलिए रखते है क्योंकि ऐसे लोग ना आरम्भ मे, ना बीच मे और ना ही अंत मे साथ छोड़कर जाते है।

6. जब प्रलय का समय आता है तो समुद्र भी अपनी मयारदा छोड़कर किनारों को छोड़ अथवा तोड़ जाते है, लेकिन सज्जन पुरुष प्रलय के सामान भयंकर आपत्ति अवं विपत्ति में भी आपनी मर्यादा नहीं बदलते।

7. मूर्खो के साथ मित्रता नहीं रखनी चाहिए उन्हें त्याग देना ही उचित है, क्योंकि प्रत्यक्ष रूप से वे दो पैरों वाले पशु के सामान हैं,जो अपने धारदार वचनो से वैसे ही हदय को छलनी करता है जैसे अदृश्य काँटा शारीर में घुसकर छलनी करता है।

8. रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्मा लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है।

9. कोयल की सुन्दरता उसके गायन मे है. एक स्त्री की सुन्दरता उसके अपने पिरवार के प्रति समर्पण मे है. एक बदसूरत आदमी की सुन्दरता उसके ज्ञान मे है तथा एक तपस्वी की सुन्दरता उसकी क्षमाशीलता मे है।

10. कुल की रक्षा के लिए एक सदस्य का बिलदान दें,गाव की रक्षा के लिए एक कुल का बिलदान दें, देश की रक्षा के लिए एक गाव का बिलदान दें, आतमा की रक्षा के लिए देश का बिलदान दें।

11. जो उद्यमशील हैं, वे गरीब नहीं हो सकते,
जो हरदम भगवान को याद करते है उनहे पाप नहीं छू सकता।
12. जो मौन रहते है वो झगड़ों मे नहीं पड़ते
जो जागृत रहते है वो िनभरय होते है।
 
13. आत्याधिक सुन्दरता के कारन सीताहरण हुआ, अत्यंत घमंड के कारन रावन का अंत हुआ, अत्यधिक दान देने के कारन रजा बाली को बंधन में बंधना पड़ा, अतः सर्वत्र अति को त्यागना चाहिए।
 
14. शक्तिशाली लोगों के लिए कौनसा कार्य कठिन है ? व्यापारिओं के लिए कौनसा जगह दूर है, विद्वानों के लिए कोई देश विदेश नहीं है, मधुभाषियों का कोई शत्रु नहीं।

15. जिस तरह सारा वन केवल एक ही पुष्प अवं सुगंध भरे वृक्ष से महक जाता है उसी तरह एक ही गुणवान पुत्र पुरे कुल का नाम बढाता है।

16. जिस प्रकार केवल एक सुखा हुआ जलता वृक्ष सम्पूर्ण वन को जला देता है उसी प्रकार एक ही कुपुत्र सरे कुल के मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा को नष्ट कर देता है।

17. विद्वान एवं सदाचारी एक ही पुत्र के कारन सम्पूर्ण परिवार वैसे ही खुशहाल रहता है जैसे चन्द्रमा के निकालने पर रात्रि जगमगा उठती है।

18. ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे. इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो समपूणर घर को सहारा और शांित पदान करे।

19. पांच साल तक पुत्र को लाड एवं प्यार से पालन करना चाहिए, दस साल तक उसे छड़ी की मार से डराए. लेकिन जब वह १६ साल का हो जाए तो उससे मित्र के समान वयवहार करे।

20. वह व्यक्ति सुरक्षित रह सकता है जो नीचे दी हुई परिस्थितियां उत्पन्न होने पर भाग जाए।
1. भयावह आपदा।
2. विदेशी आक्रमण।
3. भयंकर अकाल।
4. दुष व्यक्ति का संग।
 

21. जो व्यक्ति निम्नलिखित बाते अर्जित नहीं करता वह बार बार जनम लेकर मरता है।

  • 1.धमर
  • 2. अर्थ
  • 3. काम
  • 4. मोक्ष
 
22. धन की देवी लक्ष्मी स्वयं वहां चली आती है जहाँ …
1. मूखो का सम्मान होता हैं।
2. अनाज का अचछे से भणडारण िकया जाता है।

3. पित, पत्नी मे आपस मे लड़ाई बखेड़ा नहीं होता है।

Chanakya Niti अध्याय – 4

1. पुत्र , मित्र, सगे सम्बन्धी साधुओं को देखकर दूर भागते है, लेकिन जो लोग साधुओं का अनुशरण करते है उनमे भक्ति जागृत होती है और उनके उस पुण्य से उनका सारा कुल धन्य हो जाता है।

निम्नलिखित बातें माता के गर्भ में ही निश्चित हो जाती है….
 
2. व्यक्ति कितने साल जियेगा २. वह किस प्रकार का काम करेगा ३. उसके पास कितनी संपत्ति होगी ४. उसकी मृत्यु कब होगी।
 
3. जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है।
 
4. सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते।
 
5. एक ऐसा बालक जो जन्मते वक़्त मृत था, एक मुर्ख दीर्घायु बालक से बेहतर है. पहला बालक तो एक क्षण के लिए दुःख देता है, दूसरा बालक उसके माँ बाप को जिंदगी भर दुःख की अग्नि में जलाता है।
 

Chanakya Niti अध्याय – 5

1. ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को  पति की पूजा करनी चाहिए तथा  दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए।

2. सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है।

3. यदि आप पर मुसीबत आती नहीं है तो उससे सावधान रहे. लेकिन यदि मुसीबत आ जाती है तो किसी भी तरह उससे छुटकारा पाए।

4. अनेक व्यक्ति जो एक ही गर्भ से पैदा हुए है या एक ही नक्षत्र में पैदा हुए है वे एकसे नहीं रहते. उसी प्रकार जैसे बेर के झाड के सभी बेर एक से नहीं रहते। [ Chanakya Neeti In Hindi ]

5. वह व्यक्ति जिसके हाथ स्वच्छ है कार्यालय में काम नहीं करना चाहता. जिस ने अपनी कामना को ख़तम कर दिया है, वह शारीरिक शृंगार नहीं करता, जो आधा पढ़ा हुआ व्यक्ति है वो मीठे बोल बोल नहीं सकता. जो सीधी बात करता है वह धोका नहीं दे सकता।

6. मूढ़ लोग बुद्धिमानो से इर्ष्या करते है. गलत मार्ग पर चलने वाली औरत पवित्र स्त्री से इर्ष्या करती है. बदसूरत औरत खुबसूरत औरत से इर्ष्या करती है।

7. धर्मं की रक्षा पैसे से होती है।
ज्ञान की रक्षा जमकर आजमाने से होती है।
राजा से रक्षा उसकी बात मानने से होती है।
घर की रक्षा एक दक्ष गृहिणी से होती है।
 

Chankya Niti अध्याय – 6

1. श्रवण करने से धर्मं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है।

2. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है।

3. राख से घिसने पर पीतल चमकता है।  ताम्बा इमली से साफ़ होता है. औरते प्रदर से शुद्ध होती है. नदी बहती रहे तो साफ़ रहती है।

4. धनवान व्यक्ति के कई मित्र होते है. उसके कई सम्बन्धी भी होते है. धनवान को ही आदमी कहा जाता है और पैसेवालों को ही पंडित कह कर नवाजा जाता है।

5. सर्व शक्तिमान के इच्छा से ही बुद्धि काम करती है, वही कर्मो को नियंत्रीत करता है।  उसी की इच्छा से आस पास में मदद करने वाले आ जाते है।

6. काल सभी जीवो को निपुणता प्रदान करता है. वही सभी जीवो का संहार भी करता है. वह जागता रहता है जब सब सो जाते है. काल को कोई जीत नहीं सकता।

7. जीवात्मा अपने कर्म के मार्ग से जाता है. और जो भी भले बुरे परिणाम कर्मो के आते है उन्हें भोगता है. अपने ही कर्मो से वह संसार में बंधता है और अपने ही कर्मो से बन्धनों से छूटता है।
 
8. एक लालची आदमी को भेट वास्तु दे कर संतुष्ट करे। एक कठोर आदमी को हाथ जोड़कर संतुष्ट करे।  एक मुर्ख को सम्मान देकर संतुष्ट करे. एक विद्वान् आदमी को सच बोलकर संतुष्ट करे।
 

Chanakaya Neeti अध्याय – 7

1. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है।

2. जो सुख और शांति का अनुभव स्वरुप ज्ञान को प्राप्त करने से होता है, वैसा अनुभव जो लोभी लोग धन के लोभ में यहाँ वहा भटकते रहते है उन्हें नहीं होता।

3. इन दोनों के मध्य से कभी ना जाए..
1. दो ब्राह्मण।
2.  ब्राह्मण और उसके यज्ञ में जलने वाली अग्नि।
3. पति पत्नी।
4. स्वामी और उसका चाकर।
5. हल और बैल।
 
4. अपना पैर कभी भी इनसे न छूने दे…1. अग्नि 2. अध्यात्मिक गुरु 3. ब्राह्मण 4. गाय 5. एक कुमारिका 6. एक उम्र में बड़ा आदमी. 7. एक बच्चा.
 
5. एक शक्तिशाली आदमी से उसकी बात मानकर समझौता करे।  एक दुष्ट का प्रतिकार करे और जिनकी शक्ति आपकी शक्ति के बराबर है उनसे समझौता विनम्रता से या कठोरता से करे।
 
6. अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे।  आप यदि वन जाकर देखते है तो पायेंगे की जो पेड़ सीधे उगे उन्हें काट लिया गया और जो पेड़ आड़े तिरछे है वो खड़े है।
 

Chanakaya Niti अध्याय – 8

1. हे विद्वान् पुरुष ! अपनी संपत्ति केवल पात्र को ही दे और दूसरो को कभी ना दे। जो जल बादल को समुद्र देता है वह बड़ा मीठा होता है. बादल वर्षा करके वह जल पृथ्वी के सभी चल अचल जीवो को देता है और फिर उसे समुद्र को लौटा देता है।

2. दीपक अँधेरे का भक्षण करता है इसीलिए काला धुआ बनाता है।  इसी प्रकार , हम जिस प्रकार का अन्न खाते है. माने सात्विक, राजसिक, तामसिक उसी प्रकार के विचार उत्पन्न करते है।

3. नीच वर्ग के लोग दौलत चाहते है, मध्यम वर्ग के दौलत और इज्जत, लेकिन उच्च वर्ग के लोग सम्मान चाहते है क्यों की सम्मान ही उच्च लोगो की असली दौलत है।

4. विद्वान् लोग जो तत्त्व को जानने वाले है उन्होंने कहा है की मास खाने वाले चांडालो से हजार गुना नीच है इसलिए ऐसे आदमी से नीच कोई नहीं।

5. जल अपच की दवा है।  जल चैतन्य निर्माण करता है, यदि उसे भोजन पच जाने के बाद पीते है।  पानी को भोजन के बाद तुरंत पीना विष पिने के समान है।

6. वह आदमी अभागा है जो अपने बुढ़ापे में पत्नी की मृत्यु देखता है।  वह भी अभागा है जो अपनी सम्पदा संबंधियों को सौप देता है। वह भी अभागा है जो खाने के लिए दुसरो पर निर्भर है।

7. एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं।  संतोष के समान कोई सुख नहीं। लोभ के समान कोई रोग नहीं।  दया के समान कोई गुण नहीं।

8. निति भ्रष्ट होने से सुन्दरता का नाश होता है। हीन आचरण से अच्छे कुल का नाश होता है।  पूर्णता न आने से विद्या का नाश होता है।  उचित विनियोग के बिना धन का नाश होता है।

 

Chanakaya Niti अध्याय – 9

1. वो कमीने लोग जो दूसरो की गुप्त खामियों को उजागर करते हुए फिरते है, उसी तरह नष्ट हो जाते है जिस तरह कोई साप चीटियों के टीलों में जा कर मर जाता है।

2. कोई संदेशवाहक आकाश में जा नहीं सकता और आकाश से कोई खबर आ नहीं सकती।  वहा रहने वाले लोगो की आवाज सुनाई नहीं देती. और उनके साथ कोई संपर्क नहीं हो सकता इसीलिए वह ब्राह्मण जो सूर्य और चन्द्र ग्रहण की भविष्य वाणी करता है, उसे विद्वान मानना चाहिए।

3. जिन्होंने वेदों का अध्ययन पैसा कमाने के लिए किया और जो नीच काम करने वाले लोगो का दिया हुआ अन्न खाते है उनके पास कौनसी शक्ति हो सकती है। वो ऐसे भुजंगो के समान है जो दंश नहीं कर सकते।

4. यदि नाग अपना फना खड़ा करे तो भले ही वह जहरीला ना हो तो भी उसका यह करना सामने वाले के मन में डर पैदा करने को पर्याप्त है।  यहाँ यह बात कोई माइना नहीं रखती की वह जहरीला है की नहीं।

 

Chanakaya Neeti अध्याय – 10

1. जिसे अपने इन्द्रियों की तुष्टि चाहिए, वह विद्या अर्जन करने के सभी विचार भूल जाए और जिसे ज्ञान चाहिए वह अपने इन्द्रियों की तुष्टि भूल जाये।  जो इन्द्रिय विषयों में लगा है उसे ज्ञान कैसा, और जिसे ज्ञान है वह व्यर्थ की इन्द्रिय तुष्टि में लगा रहे यह संभव नहीं।

2. वह क्या है जो कवी कल्पना में नहीं आ सकता. वह कौनसी बात है जिसे करने में औरत सक्षम नहीं है. ऐसी कौनसी बकवास है जो दारू पिया हुआ आदमी नहीं करता।  ऐसा क्या है जो कौवा नहीं खाता।

3. भिखारी यह कंजूस आदमी का दुश्मन है. एक अच्छा सलाहकार एक मुर्ख आदमी का शत्रु है।
वह पत्नी जो पर पुरुष में रूचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है।
 
4. जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है।
 
5. एक बुरा आदमी सुधर नहीं सकता। आप पृष्ठ भाग को चाहे जितना साफ़ करे वो श्रेष्ठ भागो की बराबरी नहीं कर सकता।
 
6. यह बेहतर है की आप जंगल में एक झाड के नीचे रहे, जहा बाघ और हाथी रहते है, उस जगह रहकर आप फल खाए और जलपान करे, आप घास पर सोये और पुराने पेड़ो की खाले पहने लेकिन आप अपने सगे संबंधियों में ना रहे यदि आप निर्धन हो गए है।
 
7. रात्रि के समय कितने ही प्रकार के पंछी वृक्ष पर विश्राम करते है।  भोर होते ही सब पंछी दसो दिशाओ में उड़ जाते है. हम क्यों भला दुःख करे यदि हमारे अपने हमें छोड़कर चले गए।
 
 

Chanakya Neeti In Hindi  अध्याय – 11

1. जो अपने समाज को छोड़कर दुसरे समाज को जा मिलता है, वह उसी राजा की तरह नष्ट हो जाता है जो अधर्म के मार्ग पर चलता है।

 

2. जो घर गृहस्थी के काम में लगा रहता है वह कभी ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता।  मॉस खाने वाले के ह्रदय में दया नहीं हो सकती।  लोभी व्यक्ति कभी सत्य भाषण नहीं कर सकता और एक शिकारी में कभी शुद्धता नहीं हो सकती।

3. एक दुष्ट व्यक्ति में कभी पवित्रता उदीत नहीं हो सकती उसे चाहे जैसे समझा लो। नीम का वृक्ष कभी मीठा नहीं हो सकता आप चाहे उसकी शिखा से मूल तक घी और शक्कर छिड़क दे।

4. जो व्यक्ति एक साल तक भोजन करते समय भगवान् का ध्यान करेगा और मुह से कुछ नहीं बोलेगा उसे एक हजार करोड़ वर्ष तक स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी।
5. वह ब्राह्मण जो दुकानदारी में लगा है, असल में वैश्य ही है।
 
6. एक ब्राह्मण जो तालाब को, कुए को, टाके को, बगीचे को और मंदिर को नष्ट करता है, वह म्लेच्छ है।
 

Chanakya Niti Hindi Me अध्याय – 12

1. धिक्कार है उन्हें जिन्हें भगवान् श्री कृष्ण जो माँ यशोदा के लाडले है उन के चरण कमलो में कोई भक्ति नहीं, मृदंग की ध्वनि धिक् तम धिक् तम करके ऐसे लोगो का धिक्कार करती है।

2. बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है।

3. एक दुष्ट के मन में सद्गुणों का उदय हो सकता है यदि वह एक भक्त से सत्संग करता है. लेकिन दुष्ट का संग करने से भक्त दूषित नहीं होता. जमीन पर जो फूल गिरता है उससे धरती सुगन्धित होती है लेकिन पुष्प को धरती की गंध नहीं लगती।

4. वह घर जहा ब्राह्मणों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वैदिक मंत्रो का जोर से उच्चारण नहीं होता. और जहा भगवान् को और पितरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक स्मशान है।

5. हमारे शारीर नश्वर है. धन में तो कोई स्थायी भाव नहीं है. म्रत्यु हरदम हमारे निकट है. इसीलिए हमें तुरंत पुण्य कर्म करने चाहिए।

6. राज परिवारों से शिष्टाचार सीखे. पंडितो से बोलने की कला सीखे. जुआरियो से झूट बोलना सीखे. एक औरत से छल सीखे।

 

Chanakya Niti  अध्याय – 13

1. हम उसके लिए ना पछताए जो बीत गया।  हम भविष्य की चिंता भी ना करे। विवेक बुद्धि रखने वाले लोग केवल वर्तमान में जीते है।

2. देखिये क्या आश्चर्य है? बड़े लोग अनोखी बाते करते है। वे पैसे को तो तिनके की तरह मामूली समझते है लेकिन जब वे उसे प्राप्त करते है तो उसके भार से और विनम्र होकर झुक जाते है।

3. जो भविष्य के लिए तैयार है और जो किसी भी परिस्थिति को चतुराई से निपटता है. ये दोनों व्यक्ति सुखी है. लेकिन जो आदमी सिर्फ नसीब के सहारे चलता है वह बर्बाद होता है।

4. मेरी नजरो में वह आदमी मृत है जो जीते जी धर्म का पालन नहीं करता. लेकिन जो धर्म पालन में अपने प्राण दे देता है वह मरने के बाद भी बेशक लम्बा जीता है।
 
5. जो आत्म स्वरुप का बोध होने से खुद को शारीर नहीं मानता, वह हरदम समाधी में ही रहता है भले ही उसका शरीर कही भी चला जाए।
 
6. जो नीच लोग होते है वो दुसरे की कीर्ति को देखकर जलते है. वो दुसरे के बारे में अपशब्द कहते है क्यों की उनकी कुछ करने की औकात नहीं है।

Chanakya Niti अध्याय – 14

1. आप दौलत, मित्र, पत्नी और राज्य गवाकर वापस पा सकते है लेकिन यदि आप अपनी काया गवा देते है तो वापस नहीं मिलेगी।

2. यदि हम बड़ी संख्या में एकत्र हो जाए तो दुश्मन को हरा सकते है. उसी प्रकार जैसे घास के तिनके एक दुसरे के साथ रहने के कारण भारी बारिश में भी क्षय नहीं होते।

3. वह व्यक्ति क्यों मुक्ति को नहीं पायेगा जो निम्न लिखित परिस्थितियों में जो उसके मन की अवस्था होती है उसे कायम रखता है…
जब वह धर्म के अनुदेश को सुनता है.
जब वह स्मशान घाट में होता है.
जब वह बीमार होता है.
4. वह व्यक्ति क्यों पूर्णता नहीं हासिल करेगा जो पश्चाताप में जो मन की अवस्था होती है, उसी अवस्था को काम करते वक़्त बनाए रखेंगा।
 
5. वह जो हमारे मन में रहता हमारे निकट है।  हो सकता है की वास्तव में वह हमसे बहुत दूर हो. लेकिन वह व्यक्ति जो हमारे निकट है लेकिन हमारे मन में नहीं है वह हमसे बहोत दूर है।
 
6. जो व्यक्ति राजा से, अग्नि से, धर्म गुरु से और स्त्री से बहुत परिचय बढ़ाता है वह विनाश को प्राप्त होता है. जो व्यक्ति इनसे पूर्ण रूप से अलिप्त रहता है, उसे अपना भला करने का कोई अवसर नहीं मिलता. इसलिए इनसे सुरक्षित अंतर रखकर सम्बन्ध रखना चाहिए।
 
7. वही व्यक्ति जीवित है जो गुणवान है और पुण्यवान है. लेकिन जिसके पास धर्म और गुण नहीं उसे क्या शुभ कामना दी जा सकती है।

Chanakya Niti अध्याय – 15

1. वह व्यक्ति जिसका ह्रदय हर प्राणी मात्र के प्रति करुणा से पिघलता है. उसे जरुरत क्या है किसी ज्ञान की, मुक्ति की, सर के ऊपर जटाजूट रखने की और अपने शारीर पर राख मलने की।

2. काटो से और दुष्ट लोगो से बचने के दो उपाय है. पैर में जुते पहनो और उन्हें इतना शर्मसार करो की वो अपना सर उठा ना सके और आपसे दूर रहे।

3. जब व्यक्ति दौलत खोता है तो उसके मित्र, पत्नी, नौकर, सम्बन्धी उसे छोड़कर चले जाते है. और जब वह दौलत वापस हासिल करता है तो ये सब लौट आते है. इसीलिए दौलत ही सबसे अच्छा रिश्तेदार है।

4. यदि आदमी को परख नहीं है तो वह अनमोल रत्नों को तो पैर की धुल में पडा हुआ रखता है और घास को सर पर धारण करता है. ऐसा करने से रत्नों का मूल्य कम नहीं होता और घास के तिनको की महत्ता नहीं बढती. जब विवेक बुद्धि वाला आदमी आता है तो हर चीज को उसकी जगह दिखाता है।

5. शास्त्रों का ज्ञान अगाध है।  वो कलाए अनंत जो हमें सीखनी छाहिये. हमारे पास समय थोडा है. जो सिखने के मौके है उसमे अनेक विघ्न आते है. इसीलिए वही सीखे जो अत्यंत महत्वपूर्ण है उसी प्रकार जैसे हंस पानी छोड़कर उसमे मिला हुआ दूध पी लेता है।

6. वह आदमी चंडाल है जो एक दूर से अचानक आये हुए थके मांदे अतिथि को आदर सत्कार दिए बिना रात्रि का भोजन खुद खाता है।

 

Chanakya Niti अध्याय – 16

1. स्त्री (यहाँ लम्पट स्त्री या पुरुष अभिप्रेत है) का ह्रदय पूर्ण नहीं है वह बटा हुआ है जब वह एक आदमी से बात करती है तो दुसरे की ओर वासना से देखती है और मन में तीसरे को चाहती है।

2. ऐसा यहाँ कौन है जिसमे दौलत पाने के बाद मस्ती नहीं आई. क्या कोई बेलगाम आदमी अपने संकटों पर रोक लगा पाया. इस दुनिया में किस आदमी को औरत ने कब्जे में नहीं किया. किस के ऊपर राजा की हरदम मेहेरबानी रही किसके ऊपर समय के प्रकोप नहीं हुए. किस भिखारी को यहाँ शोहरत मिली. किस आदमी ने दुष्ट के दुर्गुण पाकर सुख को प्राप्त किया।

3. यदि एक विवेक संपन्न व्यक्ति अच्छे गुणों का परिचय देता है तो उसके गुणों की आभा को रत्न जैसी मान्यता मिलती है. एक ऐसा रत्न जो प्रज्वलित है और सोने के अलंकर में मढने पर और चमकता है।

4. मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े, या सदाचार का त्याग करना पड़े या अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े।

5. घास का तिनका हल्का है. कपास उससे भी हल्का है. भिखारी तो अनंत गुना हल्का है. फिर हवा का झोका उसे उड़ाके क्यों नहीं ले जाता. क्योकि वह डरता है कही वह भीख न मांग ले।

6. पहले के जन्मो की अच्छी आदते जैसे दान, विद्यार्जन और तप इस जनम में भी चलती रहती है. क्योकि सभी जनम एक श्रुंखला से जुड़े है।

Chanakya Niti अध्याय – 17

1. वह चीज जो दूर दिखाई देती है, जो असंभव दिखाई देती है, जो हमारी पहुच से बहार दिखाई देती है, वह भी आसानी से हासिल हो सकती है यदि हम तप करते है. क्यों की तप से ऊपर कुछ नहीं।

2. समुद्र ही सभी रत्नों का भण्डार है. वह शंख का पिता है. देवी लक्ष्मी शंख की बहन है. लेकिन दर दर पर भीख मांगने वाले हाथ में शंख ले कर घूमते है. इससे यह बात सिद्ध होती है की उसी को मिलेगा जिसने पहले दिया है।

3. साप के दंश में विष होता है. कीड़े के मुह में विष होता है. बिच्छू के डंख में विष होता है लेकिन दुष्ट व्यक्ति तो पूर्ण रूप से विष से भरा होता है।

4. जो स्त्री अपने पति की सम्मति के बिना व्रत रखती है और उपवास करती है, वह उसकी आयु घटाती है और खुद नरक में जाती है।

5. एक हाथ की शोभा गहनों से नहीं दान देने से है. चन्दन का लेप लगाने से नहीं जल से नहाने से निर्मलता आती है. एक व्यक्ति भोजन खिलाने से नहीं सम्मान देने से संतुष्ट होता है. मुक्ति खुद को सजाने से नहीं होती, अध्यात्मिक ज्ञान को जगाने से होती है।

6. टुंडी फल खाने से आदमी की समझ खो जाती है. वच मूल खिलाने से लौट आती है औरत के कारण आदमी की शक्ति खो जाती है, दूध से वापस आती है।

7. जिसमे सभी जीवो के प्रति परोपकार की भावना है वह सभी संकटों पर मात करता है और उसे हर कदम पर सभी प्रकार की सम्पन्नता प्राप्त होती है।

8. मनुष्यों में और निम्न स्तर के प्राणियों में खाना, सोना, घबराना और गमन करना समान है. मनुष्य अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ है तो विवेक ज्ञान की बदौलत. इसलिए जिन मनुष्यों में ज्ञान नहीं है वे पशु है।

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स्वामी विवेकानंद जी के 101 अनमोल वचन – Swami Vivekanand Ji Ke 101 Anmol Vachan |

Swami Vivekananda – हमारे भारत मे महान लोगों की कमी नहीं है यहाँ पर ही कई धर्मों का जैसे बौद्ध और जैन धर्म का उद्गम स्थल हैं। स्वामी विवेकानंद एक ऐसे शक्श का नाम है जिसे आप ने कभी न कभी जरूर ही सुना होगा ।
आज हम इस पोस्ट में उन्ही के बारें में बात करने वाले है । आज मैं इस पोस्ट में आपको विवेकानंद जी के जीवनी और उनको द्वारा कहे गए कुछ अनमोल वचन का संग्रह लाया हूँ।

Swami Vivekananda Biography In Hindi – स्वामी विवेकानंद की जीवनी।

पूरा नामनरेंद्रनाथ विश्वनाथ दत्त
जन्म12 जनवरी 1863
जन्मस्थान कलकत्ता (पं. बंगाल)
पिताविश्वनाथ दत्त
माताभुवनेश्वरी देवी
घरेलू नामनरेन्द्र और नरेन
मठवासी बनने के बाद नामस्वामी विवेकानंद
भाई-बहन9
गुरु का नामरामकृष्ण परमहंस
शिक्षा1884 मे बी. ए. परीक्षा उत्तीर्ण
विवाहविवाह नहीं किया
संस्थापकरामकृष्ण मठ, रामकृष्ण मिशन
फिलोसिफीआधुनिक वेदांत, राज योग
साहत्यिक कार्य राज योग, कर्म योग, भक्ति योग, मेरे गुरु, अल्मोड़ा से कोलंबो तक दिए गए व्याख्यान
अन्य महत्वपूर्ण कामन्यूयार्क में वेदांत सिटी की स्थापना, कैलिफोर्निया में शांति आश्रम और भारत में अल्मोड़ा के पास ”अद्धैत आश्रम” की स्थापना।
कथनउठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाये
मृत्यु तिथि 4 जुलाई, 1902
मृत्यु स्थानबेलूर, पश्चिम बंगाल, भारत

स्वामी विवेकानंद के बारे में – About Swami Vivekananda |

स्वामी विवेकांनद महान पुरुष थे।  उनके उच्च विचार , आध्यात्मिक ज्ञान और सांस्कृतिक अनुभव से हर कोई प्रभाबित था।  स्वामी विवेकांनद द्वारा कहीं गयी हर वचन से हमें जीवन में कोई -कोई ज्ञान जरूर मिलता है यानि उनका हर वचन अनमोल था।  स्वामी जी एक दूरदर्शी सोच के व्यक्ति थे।

उन्होंने भारत में हिन्दू धर्म को बढ़ाने में काफी भूमिका निभाई थी। स्वामी जी का स्वतंत्रा आंदोलन में भी काफी योग्यदान था।

वे एक दयालु स्वभाव के व्यक्ति थे।  वे सिर्फ मानव नहीं बल्कि जीव -जन्तुओ को भी करुणा की भावना से देखते थे।  ये हमेशा एक बात कहा करते थे

जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते ।

Life History Of  Swami Vivekananda Ji – स्वामी विवेकानंद जी के जीवन का इतिहास

महापुरुष स्वामी विवेकानंद जी का जनम 12 जनवरी 1863 को हुआ था। उनका असली नाम नरेंद्र नाथ दत्ता था लेकिन बचपन में उन्हें प्यार से लोग नरेंद्र नाम से पुकारते थे।

उनके पिता जी का नाम ‘ विश्वनाथ दत्त ‘ था।  उनके पिता जी एक कोलकाता हाई कोर्ट में एक प्रतिष्ठित वकील भी थे और उनके वकालत की लोग काफी सराहना करते थे।  उनकी अंग्रेजी और फारसी भाषा पर काफी पकड़ थी।

स्वामी जी के माता का नाम भुनेश्वरी देवी था।  उनकी माता जी एक धार्मिक महिला थी और रामायण – महाभारत का पाठ किया करती थी। उनकी भी अंग्रेजी भाषा पर काफी अच्छी पकड़ थी।

स्वामी जी पर उनके माता-पिता का असर पड़ा और बचपन में ही वे अध्यात्म की और जाने लगे थे।  वे बचपन में काफी नटखट और सरारती थे इसलिए उनके माता जी हमेशा शिकायत करती थी की मैंने शिव जी पुत्र माँगा था और उन्होंने तो मुझे राक्षस ही दे दिया।

स्वामी विवेका नन्द जी की शिक्षा |

  • 1871 में उनके पिता जी ने ईश्वर चंद विद्यासागर के मेट्रोपोलियन संस्थान में एडमिशन करवाया।
  • 1877 में उनके परिवार को रायपुर जाना पड़ा जिसके वजह से उनकी शिक्षा बाधित हो गयी उस समय वे तीसरी कक्षा में पढ़ते थे।
  • 1879 में , कोलकाता वापिस आ जाने के बाद प्रीडेन्सी कॉलेज के एंट्रेंस एग्जाम में फर्स्ट डिवीज़न लाने वाले वे पहले विद्यार्थी बने।
  • वे विभिन्न विषयो जैसे दर्शन शास्त्र, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज्ञानं, कला और साहित्य के उत्सुक पाठक थे। हिंदु धर्मग्रंथो में भी उनकी बहोत रूचि थी जैसे वेद, उपनिषद, भगवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराण। नरेंद्र भारतीय पारंपरिक संगीत में निपुण थे, और हमेशा शारीरिक योग, खेल और सभी गतिविधियों में सहभागी होते थे।
  • 1881 में उन्होंने ललित कला ललित कला परीक्षा में पास किया था और 1884 में उन्होंने कला में अपना स्नातक भी पास किया।
  • उन्होंने वकालत की भी पढाई की थी।

Swami Vivekananda और RamKrishna Paramhansa

स्वामी जी बचपन से ही जिज्ञाशी थे उन्होंने एक महर्षि देवेंद्र नाथ से पूछा था की क्या आपने कभी ईश्वर को देखा है ? इस से वे घबरा गए थे और उन्हें रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी।  स्वामी विवेकनन्द जी ने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु बनाया था।

1885 में रामकृष्ण परमहंस कैंसर से पीड़ित हो गए थे स्वामी जी उनकी काफी देखभाल की जिसके चलते गुरु और शिष्य का रिश्ता मजबूत हो गया था।

रामकृष्ण मठ की स्थापना

स्वामी जी ने रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के बाद , उन्होंने वराहनगर में रामकृष्ण संघ की स्थापना की बाद में उसका नाम बदल कर रामकृष्ण मठ कर दिया गया।  इसी मठ में नरेंद्र नाथ ने ब्रह्मचर्य और त्याग व्रत का संकल्प लिया उसके बाद वे स्वामी विवेकानंद के नाम से प्रशिद्ध हो गए।

स्वामी विवेकानंद जी का शिकागो में भाषण – Swami Vivekananda Chicago Speech

1893 में स्वामी विवेकानंद जी शिकागो पहुंचे और उन्होंने विश्व धर्म सम्मेलन में हिस्सा लिया।  इसी दौरान एक जगह पर कई धर्मगुरुओ ने किताब रखी वहीँ भारत के धर्म के वर्णन के लिए श्री मद भागवत गीता रखी गयी थी।  जिसका खूब मजाक उड़ाया गया था लेकिन जब विवेकानंद जी ने अपने आध्यात्म ज्ञान से भरा भाषण दिया तो तालियों से गड़गड़ाहट गूंज उठी।  यह पोस्ट अभी अपडेट कीजाएगी और पढ़िए – स्वामी जी के बारे में यहाँ | 

स्वामी विवेकानंद जी के 51 अनमोल वचन । Swami VivekaNanda Ji Ke 51 Anmol Vachan

1. जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते हैं तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते। – स्वामी विवेकानंद

2. यह कभी मत कहो कि ‘मैं नहीं कर सकता’, क्योंकि आप अनंत हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद
उठो, जागो और लक्ष्य पूरा होने तक मत रुको। – स्वामी विवेकानंद

3. एक रास्ता खोजो। उस पर विचार करो। उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो। उसका सपना देखो, उस विचार पर जियो। मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, आपके शरीर के प्रत्येक भाग को उस विचार से भर दो। और किसी अन्य विचार को जगह मत दो। सफलता का यही रास्ता है। – स्वामी विवेकानंद

4. आप जोखिम लेने से भयभीत न हो, यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व करते है, और यदि हारते है , तो आप दुसरो का मार्दर्शन कर सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद

5. यही आप खुद को कमजोर समझते है तो यह सबसे बड़ा पाप है। – स्वामी विवेकानंद

6. शक्ति जीवन है तो निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है तो संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है तो द्वेष मृत्यु है। – स्वामी विवेकानंद

7. अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे। – स्वामी विवेकानंद

8. अपने आप को विस्तार आपको अपने अंदर से करना होगा। तुम्हें कोई नहीं सिखा सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। कोई दूसरा शिक्षक नहीं है बल्कि आपकी अपनी आत्मा है। – स्वामी विवेकानंद

9. यदि हम ईश्वर को अपने हृदय में और प्रत्येक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते, तो हम खोजने कहां जा सकते हैं। – स्वामी विवेकानंद

10. जो किस्मत पर भरोसा करते हैं वो कायर हैं, जो अपनी किस्मत खुद बनाते हैं वो मज़बूत हैं। – स्वामी विवेकानंद

51 Swami Vivekananda Quotes In Hindi

11. दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं। – स्वामी विवेकानंद

12. जिस क्षण से मैंने प्रत्येक मानव शरीर के मंदिर में भगवान को बैठे हुए महसूस किया है, उस क्षण से मैं प्रत्येक मनुष्य के सामने श्रद्धा से खड़ा हूं और उसमें भगवान को देख रहा हूं – उस क्षण मैं बंधन से मुक्त हो जाता हूं, वह सब कुछ जो गायब हो जाता है, और मैं मुक्त हूं। – स्वामी विवेकानंद

13. हम जैसा सोचते हैं बाहर की दुनिया बिलकुल वैसी ही है, हमारे विचार ही चीजों को सुंदर और बदसूरत बनाते हैं। सम्पूर्ण संसार हमारे अंदर समाया हुआ है, बस जरूरत है तो चीजों को सही रोशनी में रखकर देखने की। – स्वामी विवेकानंद

14. ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है। – स्वामी विवेकानंद

15. अनुभव ही आपका सर्वोत्तम शिक्षक है। जब तक जीवन है सीखते रहो। – स्वामी विवेकानंद

16. कुछ भी ऐसा जो आपको शारीरिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से कमजोर बनता हो, उसे ज़हर सामान मानकर नकार देना चाहियें। – स्वामी विवेकानंद

17. समय का पाबंद होना, लोगों पर आपके विश्वास को बढ़ाता है। – स्वामी विवेकानंद धन्य हैं वह लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं। – स्वामी विवेकानंद

18. जब कोई विचार विशेष रूप से हमारे मन पर कब्जा कर लेता है, तो यह वास्तविक, भौतिक या मानसिक स्थिति में बदल जाता है। – स्वामी विवेकानंद

19. पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता, यह तीनों सफलता के लिए परम आवश्यक हैं। – स्वामी विवेकानंद

20. महान कार्य के लिए महान त्याग करने पड़ते हैं। – स्वामी विवेकानंद

21. यह कभी मत सोचो कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। यदि पाप है, तो यह एकमात्र पाप है, यह कहना कि आप कमजोर हैं, या अन्य कमजोर हैं। – स्वामी विवेकानंद

22. हमारा कर्तव्य है कि हम सभी को अपने उच्चतम विचार को जीने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करें, और साथ ही आदर्श को सत्य के जितना संभव हो सके बनाने के लिए प्रयास करें। – स्वामी विवेकानंद

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Swami Vivekananda Ke Anmol Vichar

23. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं। – स्वामी विवेकानंद

24. बड़ी योजना की प्राप्ति के लिए, कभी भी ऊंची छलांग मत लगाओ। धीरे धीर शुरू करो, अपनी ज़मीन बनाये रखो और आगे बढ़ते रहो। – स्वामी विवेकानंद

25. संघर्ष करना जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी। – स्वामी विवेकानंद

26. खुद को कमजोर मान लेता बहुत बड़ा पाप है। – स्वामी विवेकानंद

27. यही आप मुझको पसंद करते हो तो, मैं आपके दिल में हूँ। यदि आप मुझसे नफरत करते हो , तो मैं आपके मन में हूँ। – स्वामी विवेकानंद

28. यदि आपके लक्ष्य मार्ग पर कोई समस्या न आये तो आप यह सुनिश्चित करले कि आप गलत रास्ते में जा रहे हैं। – स्वामी विवेकानंद

29. दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे। – स्वामी विवेकानंद

30. मनुष्य की सेवा ही भगवान की सेवा है। – स्वामी विवेकानंद

31. जो व्यक्ति गरीबों और असहाय के लिए रोता है, वही महान आत्मा है, अन्यथा वो दुरात्मा है। – स्वामी विवेकानंद

32. चिंतन करो, चिंता नहीं , नए विचारों को जन्म दो। – स्वामी विवेकानंद

33. संभव की सीमा को जानने का सबसे उत्तम तरीका है |

Conclusion

दोस्तों स्वामी विवेकानंद जी एक महान पुरुष थे उनके विचारों से हमें जीवनी कई सारे सिख मिलती हैं।  इस पोस्ट में हमने आपको स्वामी जे 101 वचन का संग्रह दिया है।  यह पोस्ट आप अपने दोस्तों के साथ शेयर करें क्युकी आपको भी पता होगा ज्ञान बाटने से पढता हैं।

धन्यबाद  ! ❤

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